प्रदेश सरकार ने इस दिवाली पटाखों पर प्रतिबंध लगाकर कोरोना संक्रमितों, बीपी, ह्रदायाघात, अस्थमा के मरीजों के लिए बड़ी राहत दी है। क्योंकि कोरोना महामारी के दौर में सामान्य दिनों की तुलना में दिवाली पर बढ़ने वाला प्रदूषण कोरोना संक्रमितों, बीपी, ह्रदायाघात, अस्थमा के मरीजों के लिए खतरनाक हो सकता था। प्रदूषण का पिछले तीन साल का रिकॉर्ड बताता है कि यहां सामान्य दिनों की तुलना में दिवाली पर नाइट्रोजन
ऑक्साइड (NOx) 10 माइक्रो ग्राम/मीटर क्यूब, पर्टिकुलेट मैटर (PM10) 50 माइक्रो ग्राम/मीटर क्यूब और ध्वनि प्रदूषण 20 डेसिबल और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) का स्तर 2 माइक्रो ग्राम/मीटर क्यूब ज्यादा बढ़ जाता है। सीएमएचओ डॉ. दिनेश खराड़ी और एमबी अस्पताल के अतिरिक्त अधीक्षक डॉ. रमेश जोशी बताते हैं कि पटाखों का प्रदूषण लाखों लीटर ऑक्सीजन को खत्म कर देता है। वातावरण में उपलब्ध रहने वाली
ऑक्सीजन का स्तर घट जाता है, जिससे अस्थमा और सांस के मरीजों को परेशानी होती है। दिवाली पर बढ़ने वाला प्रदूषण कोरोना संक्रमित मरीजों के साथ-साथ ह्रदायाघात, बीपी, अस्थमा के मरीजों के खतरनाक साबित हो सकता था। इस प्रदूषण से श्वांस नली में रुकावट पैदा हो जाती है। कमजोर दिल वाले मरीजों, गर्भवती महिलाओं और नवजातों में मानसिक अशांति, हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्याएं पैदा होतीं।
पटाखों के धुएं से निकलने वाली जहरीली गैसों से ये खतरे
सल्फर डाई ऑक्साइड और नाइट्रोजन डाई आक्साइड : आंखों में जलन, सांस में तकलीफ, खांसी।
कार्बन मोनाेऑक्साइड : रक्त कोशिकाओं द्वारा ऑक्सीजन लेने जाने की क्षमता को कम करना।
हेवी मेटल्स सल्फर, लेड, क्रोमियम, कोबाल्ट, मरकरी मैग्निशियम स्वस्थ व्यक्ति को तुरंत बीमार कर सकता है।
सरकार के आदेश से उदयपुर में 10 करोड़ का कारोबार प्रभावित
कोरोना महामारी के चलते प्रदेश सरकार ने पहली बार इस दिवाली पटाखों की विक्री और आतिशबाजी पर रोक लगा दी है।
ऐसे में उदयपुर का प्रतिवर्ष होने वाला 8-10 करोड़ का पटाखा कारोबार पूरी तरह प्रभाव हो गया है। कलेक्टर चेतन देवड़ा ने बताया कि प्रदेश सरकार के निर्देश पर इस दिवाली शहर के लवकुश स्टेडियम, सीए सर्कल और सेक्टर-4 में पूजा पार्क में लगने वाली अस्थायी पटाखा दुकानों को लाइसेंस नहीं दिए जाएंगे। ना ही स्थायी पटाखा लाइसेंस धारक पटाखा बेच सकेंगे। आतिशबाजी पर भी रोक रहेगी। हनी भाई पटाखा वाले व अन्य बताते हैं कि शहर में 20 स्थायी पटाखा लाइसेंस धारक और 75-85 अस्थायी लाइसेंस धारक 8-10 करोड़ रुपए के पटाखे बेचते थे, लेकिन कोरोना महामारी के चलते पहली बार ये दुकाने नहीं लगेंगी।
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